रोज डे पर रोज लाना चाहें तुम भूलना।
हमें पर तुम गलती से भी न भूल जाना।
प्रेम रूपी तीरों को ही रोज समझ लेंगे।
वो तीर चला कर हमें अधीर कर जाना।।
हर रोज डे पर तुम रोज लाना भूलते हो।
याद आने पर फिर नया बहाना बनाते हो।
तब बाहर खाना ही खिला देना क्योंकि
भूलने की सजा हमसे ही तो पूछते हो।।
वह शाम बस तुम मेरे नाम कर जाना।
छोड़ अपने काम बस संग तुम घुमाना।
हाथों में हाथ डाल खुद को समझा लेंगे।
लाल ,गुलाबी, सफेद गुलाब सिर्फ बहाना।
प्यार का रंग बस कभी कम तुम ना करना।।
✍️डॉ० प्रेरणा गर्ग दिल्ली