अन्नपूर्णी द गॉडेस ऑफ फूड एक महिला की कहानी है जिसके पिता एक हिंदू पुजारी हैं. महिला शेफ बनना चाहती है लेकिन जिसके लिए उसे मांस भी पकाना पड़ेगा. परिवार की धार्मिक जीवन शैली और अपनी महत्वकांक्षा के बीच के इस द्वन्द्व को वो कैसे सुलझाती है, यही फिल्म की कहानी है. फिल्म मूल रूप से तमिल भाषा में है. इसे एक दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था और 29 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर. लेकिन छह जनवरी को रमेश सोलंकी नाम के एक व्यक्ति ने फिल्म के खिलाफ मुंबई पुलिस से शिकायत की.
सोलंकी खुद को हिंदू आईटी सेल नाम के एक संगठन का संस्थापक बताते हैं. उन्होंने अपनी शिकायत में लिखा कि यह फिल्म एंटी-हिंदू है और इसे जानबूझकर हिंदू भावनाओं को आहत करने के लिए रिलीज किया गया है. सोलंकी ने फिल्म के रिलीज को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन से भी जोड़ा और पुलिस को बताया कि जब पूरी दुनिया आनंद मना रही है कि 22 जनवरी को श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी ऐसे समय में हमारे प्रभु श्री राम को अपमानित करने वाली इस फिल्म को रिलीज किया गया है. उन्होंने विशेष रूप से फिल्म के कुछ सीन गिनाए हैं जिन पर उन्हें आपत्ति है.
जैसे एक सीन जिसमें श्मंदिर के एक पुजारी की बेटी को हिजाब पहन कर नमाज पढ़ते हुए और फिर बिरयानी बनाते हुए दिखाया गया है. सोलंकी का यह भी आरोप है कि फिल्म लव जिहाद को बढ़ावा देती है. एक और सीन का हवाला देते हुए उन्होंने पुलिस से शिकायत की है कि इसमें महिला का दोस्त फरहान उसे यह कर मांस काटने के लिए गुमराह करता है कि भगवान श्री राम और मां सीता भी मांस खाते थे. सोलंकी ने फिल्म के निर्देशक नीलेश कृष्णा, अभिनेत्री नयनतारा, निर्माताओं और नेटफ्लिक्स इंडिया की मुखिया के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है. विश्व हिंदू परिषद के युवा संगठन बजरंग दल ने भी इसी तरह की शिकायत की थी.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन शिकायतों के बाद मुंबई पुलिस ने फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ दो समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने, धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसी धाराओं के तहत शिकायत दर्ज कर ली थी. इसके बाद फिल्म को प्रोड्यूस करने वाली कंपनी जी एंटरटेनमेंट ने शिकायतकर्ताओं से माफी मांगी और नेटफ्लिक्स ने अपने प्लेटफॉर्म से फिल्म को हटा लिया. यह पहली बार नहीं है जब किसी ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई गई किसी फिल्म का इस तरह विरोध किया गया है. 2021 में अमेजॉन प्राइम पर दिखाई गई वेब सीरीज ष्तांडवष् के खिलाफ भी कथित हिंदू संगठनों ने विरोध किया था.
इस सीरीज के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में अमेजॉन प्राइम की भारत में प्रमुख अपर्णा पुरोहित के खिलाफ देश में 10 अलग अलग जगहों पर एफआईआर दर्ज कर दी गई थी. इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुरोहित की अग्रिम जमानत की अर्जी ठुकरा दी थी और यह कहा था कि इस देश के बहुसंख्यक नागरिकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ एक फिल्म को स्ट्रीम करने की अनुमति देने में पुरोहित ने सतर्कता नहीं बरती और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार का परिचय दिया. जज ने फिल्मों में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाए जाने का कड़ा विरोध भी किया. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित को गिरफ्तारी से सुरक्षा दी.
वॉशिंगटन पोस्ट अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के बाद नेटफ्लिक्स ने आंतरिक तौर पर फैसला लिया था कि कंपनी के अधिकारियों को भारत में इस तरह के जोखिम नहीं उठाने चाहिए नहीं तो उनके भी जेल जाने की संभावना है.