एक था डाकू दुसरा किसान
रामनाम की महीमा में पहली बार हुआ सीताराम
देवगांव के किसान द्वारा लिखित रामायण की हर चौपाई के हर अक्षर में लिखा है सीता राम
बैतूल, जब राम ने जन्म नहीं लिया उससे कई वर्ष पहले डाकू से महात्मा बने महृषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में रामायण की रचना की लेकिन इस कलयुग में खेतीबाड़ी से अपना परिवार पालने वाले किसान ने अपने दैनिक जीवन के दैनिक कार्य से समय निकाल कर एक अदभूत रामायण को लिख डाली जिसकी प्रत्येक चौपाई के पहले अक्षर मे राम की जगह सीताराम को लिखा है। राम की परछाई जगत जननी मां सीता को ऐसा सम्मान आज तक नहीं मिला जो एक किसान ने उसे देने का प्रयास किया। रामायण के बारे में ऐसा कहा जाता है कि महृषि वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखी रामायण में मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम का जिक्र किया है। उनकी पूरी रामायण में राम को भगवान की जगह मर्यादा पुरूषोत्तम के रूप वर्णित किया है। वही तुलसीकृत रामायण जिसे रामचरित मानस कहा जाता है उसमें राम को भगवान के रूप में और श्री राम की महीमा को बताया है। देवगांव जैसे छोटे से गांव में एक किसान ने राम को सीता के संग जोड़ कर सीताराम नाम के प्रथम अक्षर का श्रीगणेश कर पूरी रामायण लिख डाली। मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में वनवास के समय भगवान श्रीराम माता जानकी एवं भ्राता लक्ष्मण के आने का प्रमाण पुण्य सलिला मां सूर्यपुत्री ताप्ती नदी के किनारे स्थित शिवधाम बारहलिंग में देखने को मिलता है। इस स्थान पर रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम का भजन गाने वाले महात्मा गांधी आकर रूके थे। शिवधाम बारहलिंग में मां पुण्य सलिला सूर्यपुत्री ताप्ती के दर्शनार्थ के लिए जाने वाले देवगांव के किसान केदार पटेल बीते वर्ष 1997 से करोड़ों बार सीताराम नाम लिख चुके हैं । सीताराम नाम के अक्षरों से केदार पटेल ने रामायण के अलावा सुन्दरकाण्ड भी लिखा है और कई सुंदर चित्र भी बनाए हैं। केदार पटेल के घर के हर कोने पर रामायण की चौपाइयां लिखी हैं वहीं केदार सिंह के परिवार में सभी के नाम भगवान के नाम से जुड़े हैं ।
राम नाम पर नाम तें ,प्रीति प्रतीति भरोस ।
सो तुलसी सुमिरत सकल, सगुन सुमङ्गल कोस ।।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि जो राम नाम के परायण हैं । राम नाम मे ही जिसका प्रेम ,विश्वास और भरोसा है ,वह राम नाम का स्मरण करते ही समस्त सद्गुणों और श्रेष्ठ मंगलों का खजाना बन जाता है । इस दोहे को अपने जीवन में चरितार्थ किया है बैतूल जिले की ग्राम पंचायत देवगांव निवासी किसान केदार सिंह पटेल ने जिन्होंने अपना पूरा जीवन राम नाम लिखने के लिए समर्पित कर दिया है।केदार पटेल ने वाल्मीकि रामायण दोबारा लिखी है लेकिन सबसे आश्चर्यजनक बात ये है कि इस रामायण में लिखा एक एक अक्षर सीताराम नाम से बना हुआ है । अक्षर, मात्राएँ, लकीरें और चित्र भी सीताराम नाम से बने हैं ।वर्ष 1997 में एक दोस्त से प्रेरणा लेकर केदार ने सीताराम लिखना शुरू किया । पहले सीताराम नाम से सैकड़ों पन्ने भर दिए । फिर सीताराम नाम के अक्षरों से दो महीने में सुंदरकांड लिख दिया । और फिर वाल्मीकि रामायण भी महज छह साल में लिखकर पूरी कर दी जिसका हर अक्षर सीताराम नाम से बना है । पेशे से किसान केदार पटेल ने सीताराम नाम लिखने के लिए 20 साल पहले खास तरह के कागज और पेन का इस्तेमाल किया । जब भी खेती किसानी से समय मिलता वो लिखने बैठ जाते । वाल्मीकि रामायण का एक एक अक्षर सीताराम नाम से बनाने में मेहनत और एकाग्रता की ज़रूरत होती है जो उन्हें रामजी के आशीर्वाद से मिली । केवल लेखन ही नहीं बल्कि उन्होंने हनुमान जी के कई सुंदर चित्र भी बनाएं ।इन चित्रों में जो रंग दिखाई देते हैं दरअसल वो भी सीताराम नाम से भरे गए हैं । राम नाम लिखते लिखते केदार पटेल अब बुढापे की दहलीज तक आ चुके हैं लेकिन रामनाम लिखना जारी है । आज इन्हें सबसे बड़ी खुशी ये है कि वो अपने आराध्य श्रीराम जी का भव्य मंदिर बनते देख रहे हैं और रामजी की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है । केदार को लगता है मानो करोड़ों बार उनका रामनाम लिखना सफल हो गया ।
राम नाम कलि कल्पतरु, सकल सुमंगल कंद ।
सुमिरत करतल सिद्धि सब, पग पग परमानंद ।।
ग्राम देवगांव के केदार सिंह पटेल के पूरे घर की दीवारों और कोनो पर रामायण की ऐसी ही चौपाइयां लिखी हुई हैं। सबसे चौकान्ने वाली बात तो यह है कि केदार सिंह का सीताराम के प्रति प्रेम उनके परिवार के सदस्यो के नाम में कहीं न कहीं दिखाई पड़ता है। केदार पटेल के परिवार के हर सदस्य का नाम भगवान राम, श्रीकृष्ण या किसी अन्य देवो देवता से जुड़ा हुआ है । केदार की जीवन संगनी श्रीमती लक्ष्मी पटेल कहती है कि हमारे परिवार के सदस्यो के नाम देवी - देवताओ के नाम से प्रेरित है। उनके परिवार में बेटे , बहुएं , बेटी, दामाद, ,नाती, पोते सब सीताराम भक्त हैं । परिवार को लगता है कि केदार पटेल के सीताराम नाम लिखने एवं जपने से ही परिवार में खुशहाली आई हुई है । महृषि वाल्मीकि रचित रामायण और सुंदर कांड की केदार पटेल द्वारा दोबारा की गई रचना की जितनी तारीफ की जाए कम है। देवगांव के केदार पटेल को यूं तो सारा गांव जानता है लेकिन गांव के बाहर जानने वालो को उनसे मिलने की जिज्ञासा देखने को मिलने लगी है। देवगांव के लोग अपने केदार पटेल को अवतारी पुरुष से कम नहीं मानते हैं । आज भी और कल भी पूरा गांव उनका सम्मान करता चला आ रहा है। बैतूल जिले के छोटे से गांव देवगाँव की माटी में जन्मे केदार पटेल ने भूमि से निकली मां सीता को राम नाम के साथ जोड़ कर अपने किसान पुत्र और धरती पुत्र का सम्मान पाने के साथ - साथ सीताराम नाम को समर्पित रामायण रचियता केदार पटेल को पाकर बैतूल जिला भी धन्य हो गया। जानकार लोगो का ऐसा मानना है कि राम बिना सीया के अधुरे है इस बात की समझा और जाना केदार पटेल ने तभी तो उन्होने राम नाम के अक्षर में सीता नाम के अक्षर को जोड़ कर सीताराम रामायण लिख डाली।
बैतूल से रामकिशोर पंवार