सिर्फ सांसों का चलना ही जीवन कब होता है

तुमसे सपनों को "रंग" मिले, 

एहसास हुआ सच होने का

सिर्फ सांसों का चलते जाना ही, 

ऐसा जीवन कब होता है !!


होने को तो सब कुछ था, 

एक तलाश थी बाकी फिर

बिन मन यूं ही चलते जाना, 

सफर ये ऐसा कब होता है !!


ठहरे पानी को राह दिखाई, 

वेग दिया नन्हीं बूंदों को

है अस्तित्व प्रत्येक बूंद का, 

पानी सिर्फ पानी कब होता है !!


लिखा केवल शब्दों को ही, 

"मन" लिखना तुमसे सीखा है

करना कागज़ को नीला ही, 

"लिखना" ऐसा कब होता है !!


नमिता गुप्ता "मनसी"

मेरठ, उत्तर प्रदेश 


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