सुनों
जब नहीं रहेगा कुछ,,
कुछ भी तो नही,,
सिर्फ पानी ,
और पानी पर तैरती हुई एक नाव !!
सुनों
तब भी बिखरे होगें
शब्द तेरे और मेरे
हवाओं की प्रतिध्वनियों में !!
कोई तो होगा
हां, कोई तो होगा उस नाव में
कि कर लेगा महसूस,,
और सोख लेगा अंतस तक
वो शब्द
तेरे और मेरे !!
सुनों
हम लौट आएंगे फिर से
नये शब्दों में ,,नई कविताओं में,,
हम लेगें पुनर्जन्म !!
नमिता गुप्ता "मनसी"
मेरठ, उत्तर प्रदेश