सवाल तो बनता है

नहीं कभी किसी के खयालों में रहा,

पर समाज के लिए क्या किया

इस मुद्दे पर सवालों में रहा,

सवाल लाज़मी है,

जिसमें शालीनता है, सादगी है,

अपनों से कितना मिला,

अपनों को क्या दिया,

भीमराव ने नौकरी तो पकड़ा दिया,

बदले में भीम को क्या दिया?

ना साधारण बात और न कागजी है,

सवाल लाज़मी है,

किसी और ने क्या किया

उस बात पर मत उलझना,

पे बैक की आवश्यकता कितनी

और क्यों ये जरूर समझना,

जारी है बदस्तूर आज भी

वहीं प्राचीन सोच वहीं प्रताड़,

प्रतिरोध ही न हो तो

जालिमों का क्या लोगे बिगाड़,

सामाजिक लड़ाई,

कानूनी लड़ाई,

वैचारिक लड़ाई में,

कब कब कितना योगदान दिये,

संविधान प्रदत्त क्या क्या लिये,

जवाब तो देना होगा,

जिन्हें देश की,

समाज की,

संविधान की चिंता होगी,

निश्चित रूप से प्रश्न उठाएंगे

हर उस शख्स पर जो

सामाजिक प्रतिनिधित्व का पद ले

खामोश है अपनी जवाबदेही से,

सवाल मुझ पर भी बनता है।

राजेन्द्र लाहिरी पामगढ़ छग