कि कितनी अजीब सी जिंदगी हैं हमारी,
साथ होकर भी दुर हैं,
दुर होकर भी पास हैं
पास होकर भी मजबूर हैं,
मजबूर होकर भी मजबूत हैं,
मजबूत होकर भी प्यार हैं,
प्यार होकर भी अविवाहित हैं,
अविवाहित होकर भी साथ हैं
जिंदगी कितनी अजीब हैं।।
मुस्कान केशरी
मुजफ्फरपुर बिहार