जो दिल में थी बात वो कह नहीं पाए
बाँध भरे रह गए, टूटकर बह नहीं पाए
शिकायतों को दागते चले गए लेकिन
खुद पर एक इल्जाम सह नहीं पाए
साथ रहे, वादे किए, पर निभा न सके
हम सपनों को हकीकत में बदल नहीं पाए
यही रिश्ते की पहली और आखिरी कमी थी
हम दोनों एक दूसरे को समझ नहीं पाए
हम कटकर गिरती दो पतंगों के नमूने हैं
हम उलझ तो गए थे पर सुलझ नहीं पाए
अवतार सिंह अक्षरजीवी
जयपुर