हमारे पर्व

गंगा धारा अविरल बहें,

देशी सोचें, सु-पथ उमहें।

भाईचारा, अकलुष  वरें,

भाषा साहित्य,विमल धरें। 

त्योहारों में, पुलकन पले।

बेटी के मंडप, खर  फले।

वृंदा के धाग, छवि निखरे-

गंगा स्नानी, सु-जन चहले।

खर =धान, चहले = चुहल करें।

मीरा भारती।