हमारे पर्व December 04, 2023 • दैहिक स्वतंत्रता न्यूज़ नेटवर्क गंगा धारा अविरल बहें,देशी सोचें, सु-पथ उमहें।भाईचारा, अकलुष वरें,भाषा साहित्य,विमल धरें। त्योहारों में, पुलकन पले।बेटी के मंडप, खर फले।वृंदा के धाग, छवि निखरे-गंगा स्नानी, सु-जन चहले।खर =धान, चहले = चुहल करें।मीरा भारती।