झूठ की दीवार दिखे न कहीं,
सत्य छुप छुप रोये न कहीं,
भूखे पेट खुले आसमां तले,
वृद्ध असहाय सोए न कहीं।
ज्ञान का दीप हर घर जले,
नफरत की बीज कहीं न पले,
माँ भारती के पावन भूमि में,
किसी नारी का दामन न जले,
निष्ठा विश्वास की गंगा बहे,
एकता की निर्मल हवा चले,
मंगल सुमन की छाँव में,
ख़ुशी की सिंदूरी शाम ढले,
✍️ज्योति नव्या श्री
रामगढ़, झारखंड