दिसंबर कह रहा हमसे,
मैं तो जा रहा हूँ
पर तुम्हारी झोली में जनवरी को भेज रहा हूँ ।
मुझसे बिछड़ने का दुख तो होगा,
मगर नई आशाओं का इंतजार भी तो होगा।
नयी उमंग ,नये सपनों के संग सजाना,
मेरा क्या,मुझसे बिछड़ने का थोड़ा गम मना लेना।
सुख-दुख जो तुमने मेरे साथ पाये है ।
उन पलों की स्मृतियों को तस्वीर में कैद कर लेना।
तुम नव सृजन को सजाते रहना....।
मेरा क्या है, मैं तो हर साल आता हूँ।
पथ के पथिक को मंजिल तक ले जाता हूँ।
मेरा साथ छूटने का तुम गम नही करना,
जनवरी में तुम दिसंबर को खोज लेना।
गरिमा राकेश 'गर्विता'
कोटा राजस्थान