गीता अभेदी विवेकी बनातीं,रखें दूर माया अनासक्त ज्ञानी।
सेवाधिकारी गुणी हों अवामी,विरागी रखें कर्म शैली सुहानी।
हों दान दाता, लगें ईश अंशी,अकर्ता सुधी प्रेरणा ही प्रमानी।
सर्वोच्च दानी, करें दान विद्या,रहें विश्व भावी,नवाचार भानी।
मीरा भारती,
पटना,बिहार।