पता नहीं क्यूँ ढूँढता है तुम्हें दिल नादान
मिलना बातें करना जागे क्यूँ ये अरमान,
प्यार में इतने नख़रे तो उठाना ही पड़ेगा
कसम तुम्हें इधर तुमको तो आना ही पड़ेगा।
प्यार की डगर को समझो न कभी आसान
इश्क़ से हमारी अभी ही हुई जान पहचान,
आई हो पास अब तो मुस्कुराना ही पड़ेगा
कसम तुम्हें इधर तुमको तो आना ही पड़ेगा।
मिलना जुलना ख़ुदा का ही है जैसे फ़रमान
क्यों न हो इस पावन प्रेम का सदैव सम्मान,
सच्चे प्यार को गले हमेशा लगाना ही पड़ेगा
कसम तुम्हें इधर तुमको तो आना ही पड़ेगा।
सोचता हूँ लाकर दूँ तुमको रोज़ एक गुलाब
लेकिन तुममें ही है उससे ज़्यादा भरा श़बाब,
अब सज संवर तुमको मेरे लिए आना ही पड़ेगा
कसम तुम्हें इधर तुमको तो आना ही पड़ेगा।
सुमंगला सुमन
मुम्बई