मन के अंधियारे मे उम्मीदों के आश लगाये
संवर जाये जीवन ऐसा कुछ हम कर जाये
उम्मीदों के दीपक संग ही दीपावली मनाये
आओ किसी के जीवन में खुशहाली लाये
आपस के अब तो सारे राग द्वेष मिटा दें
जन-जन मे नवीन अब अनुराग जगा दें
दिल से दिल के अब तो सारे भेद मिटाये
आओ किसी के जीवन मे खुशहाली लाये
अपनों को अपनेपन का अब अहसास दें
बदलती जीवन को अब नव -नव आश दें
चलो सब खुशियों की फुलझड़ीयाँ जलाये
आओ किसी के जीवन मे खुशहाली लाये
समता,ममता व एकता के अब भाव जगे
मानव हित में मानवता के नव अंकुर जगे
मन से मानवता की ही अब ज्योति जलाये
आओ किसी के जीवन मे खुशहाली लाये
मृगतृष्णा में भटक रहें सब मानव अब तो
रिश्तों का कंही कुछ लिहाज नहीं अब तो
चलो रिश्तों में फिर से नई मिठास जगाये
आओ किसी के जीवन मे खुशहाली लाये
राग,द्वेष,मद,मोह सब कुछ भूल करके
मानवता के हित मानवीय काज करके
जन-जन में अब प्रेम की अलख जगाये
आओ किसी के जीवन मे खुशहाली लाये
रचनाकार
प्रमेशदीप मानिकपुरी
आमाचानी धमतरी छ.ग.
9907126431