कवि नहीं वह चारण है जिसकी वाणी निर्भीक नहीं
संकोची सच लिखने में वो कवि लेखनी कदापि नहीं
कलम नहीं शमशीर है यह स्वप्निल भी यह सोच नहीं
धिक्कार कवि कहलानेमें जिसमें कवित्वका भाव नहीं
चार पंक्ति तुकबंदी कर क्या तुम कवि कहलाओगे
मंत्री संत्री गुणगायन कर कौनसा अमर पद पाओगे
सारहीन पद्द लिखकर क्या साहित्यकार बन जाओगे
बिन सम्मान लेखनी के ,क्या कविता लिख पाओगे
याद करो उन कवियों को जिनका कवित्व था रण भेदी
रणभेरी बज उठे छंद गायन पर कविता बने शब्द भेदी
जिस पालकी में बैठे भूषण थे कंधा डोली बने छत्रसाल
गौरी पर वार किया पृथ्वी चंद्रवरदाई पद गाया शत्रु भेदी
कविता कवियों का जीवन और शब्दों का श्रंगार है
भक्तों का आधार है कविता, परम तत्व का मार्ग है
तुलसी सूर रसखान कबीर मीरा ने पूजी थी कविता
पा गए परम पद गा गा कर कविता ईश्वर का द्वार है
प्रवल भावना संवेदों की अभिव्यक्ति होती कविता
जो कविता में रमण करे वह बन जाता है सविता
संकेतों में सार बताए कवि का मान बढ़ाए कविता
राष्ट्रधर्म पालन करवाए क्रांति शांति की वाहक कविता
बच्चू लाल परमानंद दीक्षित
ग्वालियर 8349160755