जब गलत आरोप तुम पर नित लगाये जा रहे हो
झूठ को नित सच बताकर झूठ बोले जा रहे हो
और भ्रम में रखकर सदा अन्याय करते जा रहे हो
मौन को फिर त्याग दो प्रिय जहां उचे स्वर हो रहे हो
जब गलत आरोप तुम पर नित-------
जो बड़ा होकर बड़पन्न जीवन में नहीं जानता हो
उच्च पद की गरिमा को जो कभी न पहचानता हो
जिसके उर में छल कपट और ईर्ष्या की भावना हो
जो तुम्हारे साथ होकर भी तुम्हारा भला न चाहता हो
जब गलत आरोप तुम पर नित--------
जब तुम्हें अपशब्द कहकर मारने को आ रहा हो
जो तुम्हारी माँ को पागल और अपशब्द कह रहा हो
जब बड़े निकृष्ट होकर हैवान बनने की दिशा में हो
जो स्वयं अज्ञान होकर बुद्धिजीवी बतला रहा हो
जब गलत आरोप तुम नित--------
नाम:- प्रभात गौर
पता:- नेवादा जंघई प्रयागराज उत्तर प्रदेश