सातत्य जप श्री राम नामित, भाव से मनुहार हो।
आसक्ति तज चरणानुरागित, शुद्ध तप आधार हो।
ध्यानित रहें माँ जानकी पद, भक्ति की स्रोतस्विनी।
संवेदना भर दें जगत में, आज जो मनु शिल्पिनी।
निःस्वार्थ जन हों मन तरंगित, धर्म पर उपकार हो।टेक १
सेवा सुशिक्षा कुशल नैतिक, अर्पंंणा हनु प्रेषिता।
व्यापार हो विघ्नेश अंचित, प्राप्ति में जनभागिता।
कातर हटें दुर्गुण सशंकित, राम प्रभु दरबार हो।टेक २
चैतन्य किरणें मर्म परसें, चित्त बल शुभग्राहिता।
पारिस्थितिक नगराज पोषित,जीव बहु अभिसारिता।
परिवार भुवि-आँगन विभासित, आत्मगुण विस्तार हो। टेक ३
मीरा भारती
पटना,बिहार।