शक्ति भक्ति के बीच बह रही, नवरात्रपर्व की सरिता
भक्त लगाकर गोता इसमें, अंतर्मन की करें शुद्धता
निर्मलऔर समर्पित जब आराधक की रहे भावना
तब मातृशक्ति दुर्गाजी के नवरूपों का दर्शन पाता
कुल के मात पिता दो ध्रुव हैं, जिनके मध्य संतान झूलती
संयम नियम पिताकी पोथी, पढ़ अनुशासन पाठ सीखती
अक्षर लिख स्नेहिल स्याही से, मां ममता रूपी किताब में
संतानों के अनुरक्त भाव पर ,मां सहज वात्सल्य उड़ेलती
लौकिक मां की आत्म शक्ति से बढ़कर परम शक्ति का प्यार
नवरात्र अवधि सुनिश्चित कर पूजन, होगा निश्चित ही उद्धार
ज्ञान- विज्ञान और धरा गगन पर, नारी का सामर्थ्य सिद्ध है
उस देवी की दिव्य शक्ति का प्रभाव, होगा सर्वमान्य स्वीकार
नवरात्रि उपासना पर्व में साधक बनकर करें योग साधना
व्रत से हो तन मन प्रक्षालन हो विकसित अध्यात्म चेतना
कुटिस्थ पर हो ध्यान केंद्रित, हो रग रग जैव शक्ति संचार
मनोविकारों से मुक्तिहो, मन विकसितहो कल्याण भावना
बच्चू लाल परमानंद दीक्षित
ग्वालियर