माँ नवरात्रि तो इक बहाना है,
कर उपासना आशीष तेरा पाना है।
तेरे नौ रूपों की पूजा कर,
अंतर तम दूर भागना है।
लाल चुनर तुझे ओढ़ाकर,
अखण्ड सौभाग्य का वरदान पाना है।
माँ नवरात्रि तो इक बहाना है....
ज्योतिर्मय हो जग सारा,
रोगनाशिनी तुम,तुम पालनहारा।
रुग्नता रिपु का कर दो नाश,
शक्तिहस्ता करो दुष्टों का विनाश।
हस्तशीश धराकर शक्ति प्रखर पाना है,
माँ नवरात्रि तो इक बहाना है...
तेरी आरती गाऊँ मैं,
तुझमें ही विलीन हो जाऊँ मैं।
सांध्य दीपाराधन करके ,
सुख शांति की कृपा पाऊँ मैं।
कर पुष्पांजलि, दृर्गुण दलन करवाना है,
माँ नवरात्रि तो इक बहाना है....
डॉ. रीमा सिन्हा (लखनऊ)