तीजा–पोरा हा हमर छत्तीसगढ़ के माई लोगन बर विशेष तिहार हरे। राखी के बाद सब के मन मा एक अलग से खुशी झलकथे की अब तीजा –पोरा आही।अउ खुशी होही काबर नहीं साल भर मा एक बार ये तिहार हर आथे। वइसे तो हर तिहार हा एके घाँव आथे, फेर ये तीजा मा माई लोगन मन अपन–अपन मइके जाथे। मइके के नाम मा ता जम्मों महिला मन एक गोड़ मा खड़े रहिथे।
नवा–नेवन्नीन मन हा आठे मनाथे अउ घेरी–बेरी फोन कर के अपन भाई–माई मन ला बुलावत रहिथे। साल मा कतको बार मइके जाही फेर तीजा मा नइ जाही ता घेरी–बेरी पारा –पड़ोस संग गोठिया डरथे। अई ये दारी मँय तीजा नइ गए हंव बहिनी अब्बड़ सुरता आवत हे दाई–बाबू, भाई–भतीजा के । अपन अँचरा मा आसूंँ पोछत बतावत रहिथे।
फेर यहू तिहार हर दिनों दिन कम होवत जावत हे एके दिन बर जाथे अउ लुगरा धर के आ जाथे। ये तिहार हर पोरा ले शुरू हो के गणेश चतुर्थी तक रहिथे। करुभात के विशेष महत्व रहिथे ये तिहार मा। घर–घर माई लोगन मन घूम–घूम के करेला साग खाये ला जाथे। वो दिन काकरो घर साग नइ पूछे, काबर की सबो घर तो करेला हा बने रहिथे। अउ बजार मा करेला के भाव अगास छुवत रहिथे, एकरो दिन आथे। रात कन माई लोगन मन अपन–अपन लोग–लइका ला धर के घरोघर जाथे ।अइ चल न बहिनी करेला चीखे बर जाबोन या इही बहाना सबों झन संग भेट मुलाकात हो जाही।
करू भात काबर खाये जाथे :– करेला अउ चना अधिकांश घर मा बनथे अउ येला खा के माई लोगन मन उपास रहिथे। करेला काबर खाय जाथे येखर वैज्ञानिक कारण भी हे, करेला मा विशेष प्रकार से पोषक तत्व मिले रहिथे। येमा विटामिन सी, मैंगनीज,पोटेशियम जइसे तत्व मिले रहिथे।
येहा औषधि के भी काम करथे। करेला मा पानी के मात्रा मौजूद रहिथे जेकर से प्यास बहुत कम लगथे, अउ चना मा कैल्सियम किसम–किसम के पोषक तत्व के भरमार रहिथे। शरीर ला ऊर्जा देथे । ओकर कारण से माई लोगन मन ह करेला याने की करुभात खा के दूसर दिन निर्जला उपवास रहिथे।
पुरखा के बात :– हमर छत्तीसगढ़ मा करेला साग ला विशेष महत्व दिए जाथे। सियान मन बहुत सोच विचार कर के नियम ला बनाए हे ताकि आने वाला पीढ़ी ये कर लाभ उठा सकें। कभू–कभू लगथे की पुरखा मन ये समय ला जानत रिहिन का.... की आने वाला पीढ़ी के मन निर्जला उपास नइ रहे सकें।
येकर कारण करेला मा विशेष फायदा देख के उपास के पहिली दिन करू भात खाये के नियम बनाए हे। ताकि महिला मन येकर लाभ उठा सकें अउ पुरखा के मान रख सकें । आज के पीढ़ी ला विशेष ध्यान रखना चाहिए अउ भरपूर लाभ घलो उठाना चाहिए। ये प्रकार से करुभात खाये के महत्व हे।
लेखिका
प्रिया देवांगन "प्रियू"
राजिम
जिला - गरियाबंद
छत्तीसगढ़
Priyadewangan1997@gmail.com