झूमे मगन मयूर,वल्लरी नव पल्लव आच्छादित।
कोयल की कूक,प्रणय गीत,मेघ संग चौमासा का,
बारिश की फुहार कुमुदिनी ताल-तड़ाग में हर्षित।
मेंहदी लगी गोरी की करतल अति शोभित,
मधु बूँद बरसाये मेघ,पिया मिलन को हिय विचलित।
सुनहरी दामिनी चमके,नयनों में इंद्रधनुषी सपने,
तनिक सस्मित,तनिक विस्मित, विरह मिलन सम्मिलित।
अवर्णनीय अद्भुत सौंदर्य,कामदेव के शर से झरे प्रीत,
स्निग्ध अचला,तृषित चातक को मिले अमृत।
सौंधी मृदा,हर्षित अन्नदाता,चहुँ ओर शोभित द्रुमदल,
तरुणी बन सकुचाए धरा,पाये जो अम्बर मीत।
अहा!इन्द्रधनुष के सात रंग रंगोली ज्यों चौखट पर,
आसमानी हुआ मन,बाला इठलाती जाये पनघट पर।
मलयानिल सुनाये मधुर प्रीत का संगीत,
भोले भंडारी प्रसन्न, बिप्लव जल से पूजित।
बारिश,सावन,श्रृंगार सुशोभित हरियाली तीज,
बारिश,मृदु स्वप्न,खुशियां,मुक्ताहल सित।
रिमझिम रिमझिम बूँदें,अंकुरण की जननी,
बारिश,प्रेम,पिया,सौंदर्य,भक्ति, प्रीति, अपरिमित।
रीमा सिन्हा (लखनऊ)