ईसापूर्व तीन सौ चार चैत त्रयोदशी,
अशोक के बचपन के किस्से मशहूर,
कहते है राजा बनने के लिए किया,
निनान्वे भाई की निर्मम हत्या उसने,
तब बना चंड अशोक राजा अशोक,
महत्वाकांक्षा राज्यों को जीतने की,
हिन्दू कूश से बंगाल तक जीत डाला,
आँख गड़ा जीतने कलिंग राज्य पर,
बीस वर्षों तक चला लगातार युद्ध,
फिर भी कलिंग अपराजेय ही रहा,
कलिंग नरेश की मृत्यु अनंतर भी,
उनकी पुत्री राजकुमारी पद्मा ने भी,
ठाना सम्राट अशोक से बदला लेना,
युद्धभूमि में पुरुष भेष में राजकुमारी,
पद्मा की सेना बदला लेने को तत्पर,
सम्राट अशोक ने जब पद्मा को देखा, क्या स्त्रियों पर अस्त्र चलाएगा राजा,
राजकुमारी पद्मा ने युद्ध हेतु हुंकार,
सम्राट अशोक ने रख दिया अपना, अस्त्र उतार और धर्म का पुनर्विचार,
कलिंग सम्राट ने जीत लिया परंतु
किया शस्त्र का त्याग,बुद्धं शरणं हुए,
बौद्ध धर्म का विश्व में किया भेरीनाद,
पुत्र महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा भेजा,
विश्व के विभिन्न देशों में बौद्ध प्रचार,
आज सम्राट अशोक जयंती पर हम,
करते उसके कृतियों को हृदय से याद
और हम सब देते श्रद्धा सुमन सम्मान ।।
स्वरचित मौलिक रचना
डॉ0 कन्हैयालाल गुप्त #किशन भाटपार रानी, देवरिया, उत्तर प्रदेश, भारत