भटकूँ न अंधेरों में,वो सुबह दे दो।
नेक राह पर चलती जाऊँ हरपल,
दिल न किसी का दुखाऊँ इक पल,
परहित में तन लगाऊँ ये वजह दे दो।
तेरा सुमिरन तेरा ही ध्यान धरूँ,
पाऊँ कृपा तेरी,तेरा आह्वान करूँ,
गौरी बन मुस्काऊँ रूप वह दे दो।
आँच न आये घर परिवार पर,
लाल सिंदूर सजती रहे माँग पर,
तेरी शक्ति की सुहानी सह दे दो।
खुद से दूर न मुझको करना मैया,
हो जाये जो भूल माफ करना मैया,
प्रीत-गीत गाऊँ न कोई कलह दे दो।
रीमा सिन्हा
लखनऊ-उत्तर प्रदेश